हमारे बारे में
संस्थान का परिचय
भा.वा.अ.शि.प - वर्षा वन अनुसंधान संस्थान, जोरहाट; देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में वानिकी क्षेत्र के विकास हेतु आवश्यक अनुसंधान के लिए अप्रैल 1988 में अस्तित्व में आया जबकि इसकी स्थापना सन् 1976 में पूर्वोत्तर राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा) में वानिकी अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के माध्यम से वानिकी संबंधित ज्ञान को प्रसारित करने के लिए वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के एक क्षेत्रीय केंद्र के रूप में बर्निहाट (असम) में हुई। यह संस्थान, अवसंरचना के संदर्भ में लगातार आगे बढ़ा और क्षेत्र के वानिकी और पारिस्थितिकी संबंधी विषयों पर अनुसंधान हेतु एक मुख्य केंद्र के रूप में स्वयं को स्थापित किया। पहले इसे वर्षा एवं नम पर्णपाती वन अनुसंधान संस्थान (IRMDFR) के रूप में उच्चीकृत किया गया, और अब यह वर्षा वन अनुसंधान संस्थान (व.व.अ.सं.) के रूप में जाना जाता है। यह संस्थान सिक्किम सहित सभी पूर्वोत्तर राज्यों में वानिकी संसाधनों और प्रौद्योगिकी विस्तार के क्षेत्र में एक ख्याति प्राप्त संस्थान के रूप में विकसित हुआ है, जो उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान कर रहा है। संस्थान की बहुआयामी वैज्ञानिक जनशक्ति,आवश्यकतानुसार वन संसाधनों के संरक्षण,रक्षण, पुनर्स्थापना और प्रबंधन के क्षेत्र में तकनीकी उपलब्धियां प्रदान करती है। संस्थान विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं के अंतर्गत विकसित एवं परखी गई तकनीकों को अपने क्षेत्रीय क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के तहत प्रदर्शन-ग्राम और वन विज्ञान केंद्रों (वीवीके) के माध्यम से राज्यों ने हितधारकों को स्थानांतरित करता है। संस्थान का मुख्यालय असम के जोरहाट में स्थित है, जबकि इसके केंद्र आइज़ॉल, मिजोरम और अगरतला, त्रिपुरा में स्थित हैं।
अधिदेशः
- वन संसाधनों के वैज्ञानिक और सतत प्रबंधन हेतु वानिकी अनुसंधान, शिक्षा एवं विस्तार करना और बढ़ावा देना।
- राष्ट्रीय और क्षेत्रीय महत्व तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के मामलों में सूचित निर्णय लेने में सहायता करने और वानिकी अनुसंधान की जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को वैज्ञानिक सलाह प्रदान करना।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र के पारिस्थितिक महत्त्व और बदलते पर्यावरण के तहत प्राकृतिक और रोपित वनों की उत्पादकता में वृद्धि करने हेतु वन प्रबंधन और वन-वर्धन तकनीकों के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए वानिकी में अनुसंधान और विस्तार करना।
- वन संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग हेतु राज्यों, वन आश्रित समुदायों, वन आधारित उद्योगों, वृक्ष तथा अकाष्ठ वन उत्पादों के उत्पादकों और अन्य हितधारकों को उनके वानिकी आधारित कार्यक्रमों में तकनीकी सहायता और सामग्री सहयोग प्रदान करना।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने और कृषि भूमि/वृक्षारोपण के लिए प्रजनन, जैव-प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन और वन-वर्धन और वन प्रबंधन अनुप्रयोगों के माध्यम से नई किस्मों को विकसित करने के लिए अनुसंधान करना।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण और अनुकूलन विषयों सहित जैव-विविधता मूल्यांकन, प्रलेखन, संरक्षण और आजीविका हेतुवन संसाधनों के सतत उपयोग और क्षेत्र विशिष्ट संरक्षण रणनीतियों के विकास पर केंद्रित अनुसंधान करना।
- उत्पादकता और संसाधनों के अभिनव उपयोग को बढ़ाकर पूर्वोत्तर क्षेत्र में बाँस और बेंत के संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग पर अनुसंधान करना।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए वानिकी क्षेत्र में न्यूनीकरण और अनुकूलन रणनीतियों पर अनुसंधान करना।
- वनों के विभिन्न पहलुओं, जैसे वन-मृदा, आक्रामक खरपतवार प्रजातियों, वनाग्नि, हानिकारक कीट-पतंगों और रोगों,वन जलविज्ञान, वन मूल्यांकन, पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान, वन उत्पादों आदि पर अनुसंधान और ज्ञान प्रबंधन करना।
- नवोन्मेषी विस्तार रणनीतियों और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों को विकसित, उन्नत, प्रसार और साझा करना।
- परिषद के उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु सभी आवश्यक, प्रासंगिक और अनुकूल गतिविधियों को करना।
मूल अनुसंधान क्षेत्र:
1. झूम खेती प्रबंधन
2. कृषि भूमि पर औषधीय और सुगंधित पौधों तथा बांस और रतन की खेती के लिए विभिन्न प्रारूपों का विकास
3. जैव विविधता संरक्षण और उपयोग
4. कृषिवानिकी / सामाजिक वानिकी मॉडलों का विकास
5. झूम खेती के प्रभाव पर अध्ययन
6. महत्वपूर्ण प्रजातियों का उत्तक संवर्धन
7. मृदा और जल संरक्षण
8. परीक्षण की गई तकनीकों का विस्तार और प्रभाव आकलन
9. अर्थशास्त्र और बाजार अध्ययन पर जानकारी
10. अकाष्ठ वन उत्पादों का मूल्य वर्धन
11. महत्वपूर्ण प्रजातियों का प्राकृतिक पुनर्जनन
12. प्राकृतिक वनों का प्रबंधन
13. बायोडीजल - वैकल्पिक ईंधन प्रजातियों का विकास
14. महत्वपूर्ण प्रजातियों की नर्सरी तकनीक
15. कार्बन क्रेडिट